रक्षा बन्धन भाई बहन के बीच का एक पवित्र रिश्ता है नमस्कार दोस्तों आज हम आपको बताने वाले है की रक्षा बंधन क्यों मनाया जाता है पूरे देश में उत्साह के साथ मनाया जाना वाला ऐ त्योहार ना केवल भाईबहन के प्रेम के प्रतीक अपितु परिवारों को जोडे रखने का एक बेहद अच्छा माध्यम है तो पुरातन काल से मनाया जाने वाले इस त्योहार के मनाये है जानते है

रक्षा बंधन कब और क्यों आरंभ हुया ?
हिंदू धर्म में इस संदर्भ में कुछ कथाये है –
विष्णु पुराण
भगवान विष्णु कथा के अनुसार दैत्यों के राजा बलि ने 110 यग पूर्ण कर लिए थे जिस कारण देवताओं को डर हो गया कि कहीं राजा बलि अपनी सकती से स्वर्ग लोक पर भी अधिकार ना कर ले इस लिये सभी देवता भगवान विष्णु के समक्ष रक्षा के लिए पहुँचे तब भगवान विषु ने वामन अवतार लिया और राजा बलि से भिक्छा माँगते है भिक्छा में बलि ने तीन पग भूमि देने का निश्चय किया तब भगवान विषु ने एक पग में स्वर्ग दूसरे में पृथ्वी को लिया जब राजा बलि ने तीसरा पग आगे बड़ते हुए देखा तो परेशान हो गया और समझ नहीं पा रहा था कि क्या करे फिर बलि ने अपना सिर बहमान देव के चरणों में रखा और कहा आप तीसरा पग यहाँ रख दे और इस प्रकार राजा बलि से स्वर्ग एवं पृथ्वी में रहने का आधिकार छीन लिया गया और बलि रसातल में चला गया तब बलि ने अपनी भक्ति से भगवान से हर समय अपने सामने रहने का वचन लिया और भगवान को विष्णु को राजा बलि का द्वारका बनना पड़ा जिस कारण देवी लक्ष्मी दुविदा में पड गई वो विष्णु जी को रसताल से वापस लाना चाहती थी तब उन्हें नारत जी से इस समस्या का समाधान मिला लक्ष्मी जी ने राजा बलि के पास जा कर उसे रखी बंधी और उसे अपना भाई बना लिया और उपहार में उन्होंने अपनी पति विष्णु जी को माँगा ये सावन माष के पूर्णिमा के दिन था और तब से ही रक्षा बंधन मनाया जाता है।
रक्षा बंधन क्यों मानया जाता है (Raksha Bandhan Kyu Manaya Jata Hai)
भविष्य पुराण के अनुसार –
इस कथा अनुसार 12 वर्षों तक देव और अशुरों के मध्य संग्राम होता रहा इस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी तब इंद्र देव गुरु बिराशपति के पास पहुँचे वहाँ इंद्र की पत्नी सच्ची भी उपस्थित थी इंद्र को दुखी देख इंद्राणी ने कहा स्वामी कल बरहमान शुक्ल पूर्णिमा है में विदी विधान के साथ एक रक्षा सूत्र आपके लिए तैयार करूँगी आप उसे स्वातिवचन पूर्वक बरहमानों से बँधवा लीजिएगा आप निश्चे ही विजय होंगे अगले दिन इंद्र ने पत्नी के कहे अनुशर वो रक्षा सूत्र स्वातिवचन पूर्वक बरस्पाती से बँधवाया इस प्रकार एक रक्षा सूत्र के इंद्र और सभी देवों की रक्षा हुई ।
महाभारत काल के अनुसार –
जब भगवान कृष्ण ने सिसुपल का वध अपने चक्र से किया जब चक्र कृष्ण के वापस आया तो उनकी उँगली काट गई तब पांडवों की पत्नी द्रोपति ने अपनी साड़ी का किनारा चिर कर कृष्ण के उँगली में बांध दिया तब भगवान कृष्ण ने वचन दिया कि वो सारी उम्र द्रोपति की रक्षा करेंगे इसी ऋण को चुकाने के लिए द्रोपति के चीरहरण के समय भगवान कृष्ण ने चिर के रूप में आये और द्रोपति की रक्षा की और इस प्रकार से रक्षा बंधन मनाया जाता है।
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