गणेश चतुर्थी पूरे देश में श्रदा भाव से मनाया है क्या आपको पता है की यह त्योहार पूरे देश में क्यों मनाया जाता है तो चलिए आज हम आपको बताते है
इस कथा का वर्णन शिव पुराण में रुद्रसंहिता चतुर्थ कुमार खण्ड के अध्याय 13 से लेकर 19 तक है
सुवेतकल्प में जब भगवान शंकर के यमोग त्रिशूल से पार्वतीनंदन दंडपानी का मस्तक कट गया था तब पुत्रवत्सला जगतजन्नी पार्वती जी अत्यंत दुखी हुई उन्होंने बहुत सी शक्तिओं को उत्पन्न किया और उन्हें प्रले मचाने की आज्ञा दे दी उन परमतेजस्विनी शक्तिओं ने सर्वत संघार करना प्रारंभ कर दिया प्रले का दृश्य उपस्थित हो गया देवगढ़ हाहाकार करने लगे तब समस्त जगदंबा को प्रसन करने के लिए देवतावों ने उतर दिशा से हाथी का सर लेके शिव पुत्र के सर में जोड़ दिया महेश्वर के तेज से पार्वती के प्रिय पुत्र जीवित हो गया अपने पुत्र गजमुख को जीवित देखकर पार्वती जी अतियन्त प्रसन्न हुई और अपने पुत्र का सत्कार कर के उसका मुख चूमा और प्रेम पूर्वक उसे वरदान देते हुए कहा क्यूकी इस समय तेरे मुख पर सिंदूर दिख रहा है इसलिए मनुष्यों को सदा सिंदूर से तेरी पूजा करनी चाहिए जो मनुष्य पुष्प चंदन और सुंदर गंध नये वेदय रमण्डी आरती तांबूल और दान से तथा परिकर्मा कर के तेरी पूजा करेगा उसकी सभी प्रकार के भिघन नष्ट हो जाएँगे उस समय दया मई पार्वती जी को प्रसन्न करने के लिए बरम्भा, विष्णु और शिव आदि सभी देवताओ ने गणेश को सर्वाध्यक्ष घोसित कर दिया उसी समय अत्यंत प्रसन्न महादेव ने अपने वीर पुत्र गणेश को अनेक वर प्रदान करते हुए कहा विघ्न्य नास के कार्य में तेरा नाम सर्वस्रेष्ट होगा तू सबका पूज्य है अतः अब मेरे संपूर्ण गणों का अध्यक्ष हो जा तद्नान्तर परम प्रसन्न आशुतोष ने गणपति को पुनः वर प्रदान करते हुए कहा गणेश्वर तू भाद्रपद मास के कृष्णपक्ष चतुर्थी तिथि को चंद्रमा का शुभ उदय होने पर उत्पन्न हुया है जिस समय गिरिजा के सुंदर चित्र से तेरा रूप प्रकट हुया उस समय रात्रि का प्रथम प्रहर बीत रहा था इसलिए उसी दिन से आरम्भ कर के उसी तिथि में प्रसन्नता के साथ प्रति मास तेरा उतम व्रत करना चाहिए वह व्रत प्रम सोभन तथा संपूर्ण सिद्धिओ का प्रदाता होगा
गणेश चतुर्थी व्रत की विधि ? ganesh chaturthi wart ki widhi
गणेश चतुर्थी के दिन अतियन्त सर्धा भाव पूर्वक गज मुख को प्रसन्न करने के लिए किऐ गये व्रत उपवास एवम् पूजन के महात्मे का गान किया और कहा जो लोग नाना प्रकार के उपचारों से भक्ति पूर्वक तेरी पूजा करेंगे उनके विघ्नों का सदा के लिए नास हो जाएगा और उनकी काल सीधी होती रहेगी सभी वर्ण के लोगो को विशेष कर स्त्रीयो को यह पूजा आवस्य करना चाहिए व्रती मानुष जिस जिस वस्तु की कामना करता है उसे निश्चे ही वह वस्तु उसे प्राप्त हो जाती है अतः जिसे किसी वस्तु की अभिलासा हो उसे अवश तेरी सेवा करनी चाहिए भाद्रपद कृष्ण चतुर्थी को बहुला सहित गणेश की गन्धपुष्प माला और ध्रुव आदि के द्वारा यज्ञ पूर्वक पूजा कर परिक्रमा करनी चाहिए समर्थ के अनुशर दान करे दान करने की स्थिति ना हो तो बहुला गाय को प्रणाम कर उसका विश्रजा कर दे इस प्रकार पाँच दस या सोलह वर्षों तक इस वार्ट का पालन कर के उदयापन करे उस समय दूध देने वाली स्वस्थ गाय का दान करना चाहिए इस व्रत करने वाले स्त्री पुरुषों को सुखद भोग की उपलब्धि होती है देवता उनका सामान्न करते है और अंत में गो लोक धाम की प्राप्ति करते है ।
गणेश चतुर्थी कहा सबसे ज़्यादा मनाया जाता है? ganesh chaturthi kaha sabse jayeda manaya jata hai
वेसे तो गणेश चतुर्थी का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है लेकिन महाराष्ट्र में सबसे ज़्यादा धूम धाम से मनाया जाता है
गणेश चतुर्थी कब है? ganesh chaturthi kab hai
गणेश चतुर्थी 2024 वर्ष में 7 सितम्बर को है
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