
कुंभ मेला भारत का एक प्रमुख धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव है, जो हर 12 साल में चार प्रमुख स्थानों पर आयोजित होता है। यह हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होता है, जहां वे गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।
कुंभ मेला कहां लगता है?
कुंभ मेला चार पवित्र स्थानों पर आयोजित होता है:
- हरिद्वार (गंगा नदी)
- प्रयागराज (इलाहाबाद) (गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम)
- उज्जैन (क्षिप्रा नदी)
- नासिक (गोदावरी नदी)
कुंभ मेले का समय और अवधि
कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होता है। इसके बीच में 6 साल बाद “अर्धकुंभ” होता है। प्रत्येक स्थान पर कुंभ मेला बारी-बारी से आयोजित होता है।
- महाकुंभ मेला: हर 144 साल में एक बार होता है।
- मेले की अवधि आमतौर पर 1-2 महीने की होती है।
कुंभ मेला कब है? Kumbh Mela Kab Hai?
2025 का कुंभ मेला 13 जनवरी में प्रयागराज में आयोजित होगा।
- आरंभ तिथि: 13 जनवरी 2025
- अवधि: लगभग 45 दिन 26 फरवरी तक
- मुख्य स्नान तिथियां: मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, माघी अमावस्या, बसंत पंचमी, माघ पूर्णिमा और महाशिवरात्रि।
कुंभ मेले तक कैसे पहुंचे?
- हवाई मार्ग:
- निकटतम हवाई अड्डे प्रयागराज, वाराणसी और लखनऊ हैं।
- रेल मार्ग:
- प्रयागराज रेलवे स्टेशन भारत के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है।
- सड़क मार्ग:
- उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन की बस सेवाएं और टैक्सी आसानी से उपलब्ध हैं।
- स्पेशल ट्रेन और बसें:
- कुंभ मेले के दौरान भारतीय रेलवे और राज्य सरकार विशेष ट्रेन और बस सेवाएं प्रदान करती हैं।
विशेष आकर्षण
- साधु-संतों का जमावड़ा: नागा साधु, उर्ध्वरेता साधु और अन्य अखाड़ों के साधुओं का दर्शन।
- पवित्र स्नान: मुख्य स्नान तिथियों पर संगम में स्नान।
- धार्मिक अनुष्ठान: कथा, प्रवचन और यज्ञ।
- संस्कृति दर्शन: क्षेत्रीय कला, संगीत और नृत्य।
महत्वपूर्ण सुझाव
- बुकिंग: यात्रा की योजना पहले से बनाएं। होटल और धर्मशालाओं की बुकिंग जल्द कर लें।
- सुरक्षा: भीड़भाड़ वाले स्थानों पर सतर्क रहें।
- स्वास्थ्य: अपने साथ प्राथमिक चिकित्सा किट और साफ पानी रखें।
- सरकारी गाइडलाइंस: सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन करें।
नोट:
सटिक तारीख और समय के लिए सरकारी वेबसाइट पर अपडेट चेक करते रहें।