Neem karoli baba ki jeevan katha : नीम करोली बाबा की जीवन कथा ?

नीम करोली बाबा की जीवन कथा (Neem karoli baba ki jeevan katha)

neem karoli baba ki jeevan katha

neem karoli baba ki jeevan katha नीम करोली बाबा, जिन्हें लोग प्रेम से ‘महाराज जी’ भी कहते हैं, एक दिव्य संत और हनुमान जी के परम भक्त थे। उनका असली नाम लक्ष्मी नारायण शर्मा था। उनका जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर गांव में सन 1900 के आसपास हुआ था।

बचपन से ही वे आध्यात्मिक प्रवृत्ति के थे और सांसारिक विषयों में अधिक रुचि नहीं रखते थे। बचपन और गृहस्थ जीवन: नीम करोली बाबा का विवाह युवावस्था में ही हो गया था, लेकिन कुछ वर्षों तक पारिवारिक जीवन जीने के बाद उन्होंने घर त्याग दिया और साधु जीवन अपना लिया। वे भारतवर्ष के विभिन्न हिस्सों में भ्रमण करते रहे और कई वर्षों तक साधना में लीन रहे।

हनुमान जी से जुड़ाव:

नीम करोली बाबा को हनुमान जी का अवतार माना जाता है। वे स्वयं को भी हनुमान जी का सेवक बताते थे। उनकी कथाओं में कई चमत्कारी घटनाएँ शामिल हैं जहाँ उन्होंने लोगों के दुखों को दूर किया, असाध्य बीमारियों को ठीक किया और कई लोगों को जीवन में दिशा दी।

नीम करौली बाबा नाम की कहानी:

नीम करौली बाबा का नाम कैसे पड़ा – इसका एक रोचक और आध्यात्मिक प्रसंग है, जो उनके जीवन से जुड़ा हुआ है। उनका असली नाम था लक्ष्मण दास शर्मा, और वे उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जिले के एक ब्राह्मण परिवार में जन्मे थे। लेकिन “नीम करौली बाबा” नाम की उत्पत्ति एक विशेष घटना से जुड़ी है:

जब बाबा युवावस्था में साधु रूप में देशभर में भ्रमण कर रहे थे, तब वे उत्तर प्रदेश के नीम करौली (या नीब करोरी) गांव (जिला फ़र्रुख़ाबाद के पास) पहुँचे।

वहाँ की एक घटना प्रसिद्ध है:

  • एक दिन बाबा बिना टिकट के ट्रेन में यात्रा कर रहे थे। जब टिकट चेकर ने उन्हें देखा, तो उन्हें ट्रेन से उतरने को कहा।

  • बाबा शांति से ट्रेन से उतर गए और पास के नीम करौली स्टेशन पर बैठ गए।

  • जैसे ही बाबा नीचे उतरे, ट्रेन आगे नहीं बढ़ी। उसमें कोई तकनीकी खराबी नहीं थी, लेकिन वह हिल नहीं रही थी।

  • जब ट्रेन रुक गई और काफी प्रयासों के बाद भी नहीं चली, तो किसी ने स्टेशन मास्टर को बताया कि जिस संत को उतारा गया है, शायद उसके कारण ऐसा हो रहा हो।

  • स्टेशन मास्टर ने बाबा से क्षमा मांगी और उनसे वापस ट्रेन में चढ़ने का अनुरोध किया।

  • बाबा जैसे ही ट्रेन में बैठे, ट्रेन फिर से चल पड़ी।

 इस घटना के बाद:

  • लोग इस चमत्कार से चकित हो गए और उन्हें “नीब करौरी बाबा” कहने लगे, जो बाद में बदलकर “नीम करौली बाबा” के नाम से प्रसिद्ध हो गया।

  • “नीम करौली” गाँव का नाम उनके नाम का हिस्सा बन गया।

 उनके अन्य नाम:

  • लक्ष्मण दास

  • तिकोनिया बाबा

  • हांड़ी वाले बाबा (उत्तराखंड में)

  • महाराज जी (उनके भक्तों द्वारा स्नेह से)

कैंची धाम कहाँ है ?

कैंची धाम की स्थापना: सन 1964 में उन्होंने उत्तराखंड के नैनीताल जिले में ‘कैंची धाम’ नामक मंदिर और आश्रम की स्थापना की, जो आज एक प्रमुख आध्यात्मिक स्थल बन चुका है। यहाँ हर साल 15 जून को विशेष भंडारा होता है जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

अंतरराष्ट्रीय प्रभाव: नीम करोली बाबा के भक्तों में कई विदेशी नाम भी शामिल हैं। सबसे प्रसिद्ध अनुयायी थे Apple के संस्थापक स्टीव जॉब्स, फेसबुक के मार्क ज़ुकरबर्ग और लेखक राम दास (Richard Alpert)। ये सभी बाबा से प्रभावित होकर भारत आए और आध्यात्मिक जीवन को अपनाया।

 

मृत्यु: नीम करोली बाबा का शरीर 11 सितंबर 1973 को वृंदावन में त्याग हुआ। लेकिन उनके अनुयायी आज भी मानते हैं कि बाबा हमेशा उनके साथ हैं। उनकी शिक्षाएँ और आशीर्वाद आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं।

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा का मंदिर आगमन:

विराट कोहली और अनुष्का शर्मा कई बार नीम करौली बाबा के मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचे हैं। विशेषकर 2022 और 2023 में वे उत्तराखंड के दौरे पर कैंची धाम आश्रम पहुंचे थे।

कुछ विशेष बातें:

  • विराट और अनुष्का दोनों अध्यात्म में रुचि रखते हैं और अक्सर हिमालयी क्षेत्रों में ध्यान और दर्शन के लिए जाते हैं।

  • कैंची धाम में दर्शन के दौरान उन्होंने बाबा की समाधि पर फूल चढ़ाए और आश्रम में कुछ समय ध्यान लगाया।

  • उनके साथ बेटी वामिका भी मौजूद थीं।

neem karoli baba ki jeevan katha

बाबा की शिक्षाएँ:
  • “सबसे प्रेम करो”
  • “सच्चा भक्ति मार्ग सेवा में है”
  • “हनुमान जी की भक्ति से सब संभव है”
  • “ईश्वर हर जगह है, बस दृष्टि चाहिए”

निष्कर्ष: नीम करोली बाबा केवल एक संत नहीं थे, वे एक चेतना थे जो आज भी लोगों को प्रेम, सेवा और श्रद्धा का मार्ग दिखाते हैं। उनका जीवन, शिक्षाएँ और चमत्कार आज भी लाखों लोगों की आस्था का केंद्र हैं। कैंची धाम आज भी उनकी उपस्थिति का जीवंत प्रमाण है।

|| जय हनुमान ||

 कैंची धाम कैसे जाएँ? (How to Reach Kainchi Dham )

कैंची धाम,Neem karoli baba ki jeevan katha उत्तराखंड के नैनीताल जिले में स्थित एक प्रसिद्ध आध्यात्मिक स्थल है, जो नीम करोली बाबा के भक्तों के लिए अत्यंत पूज्य स्थान है। यहाँ हर साल 15 जून को विशाल भंडारा होता है जिसमें देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं।

📍 कैंची धाम का पता:

कैंची धाम मंदिर, कैंची गांव, नैनीताल-अल्मोड़ा रोड, जिला नैनीताल, उत्तराखंड, भारत – 263132


 सड़क मार्ग (By Road):

  • नैनीताल से कैंची धाम की दूरी लगभग 18 किमी है।

  • हल्द्वानी से लगभग 42 किमी और काठगोदाम से 38 किमी दूर है।

  • निजी टैक्सी, ओला/उबर, या स्थानीय शेयर टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।


 रेल मार्ग (By Train):

  • सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन काठगोदाम (Kathgodam) है, जो कैंची धाम से 38 किमी दूर है।

  • दिल्ली, लखनऊ, कोलकाता जैसे शहरों से नियमित ट्रेन सेवा उपलब्ध है।

  • स्टेशन से टैक्सी या बस से कैंची धाम तक पहुँचा जा सकता है।


हवाई मार्ग (By Air):

  • सबसे निकटतम एयरपोर्ट है पंतनगर हवाई अड्डा, जो कैंची धाम से लगभग 77 किमी दूर है।

  • एयरपोर्ट से टैक्सी या कार बुक कर के आप 2-3 घंटे में कैंची धाम पहुँच सकते हैं।


यात्रा के लिए सुझाव:

  • 15 जून को वार्षिक भंडारे के समय भारी भीड़ होती है, तो अग्रिम बुकिंग करें।

  • आसपास नैनीताल, भवाली और अल्मोड़ा में ठहरने के लिए होटल/धर्मशाला उपलब्ध हैं।

  • मंदिर प्रातः 7 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता है (समय मौसम के अनुसार बदल सकता है)।

 

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